शाढ़ौरा । होली के बाद आने वाली चौत्र कृष्ण अष्टमी पर शीतला अष्टमी का त्योहार मनाया जाता है। कई लोग इसे होली अष्टमी भी कहते हैं। इस त्यौहार को कुछ लोग होली के आठ दिन बाद तो कुछ लोग होली के बाद के सोमवार को मनाते हैं। इस दिन माता शीतला की पूजा की जाती है॥ इस त्यौहार को कई जगह बासौडा भी कहते हैं। माता शीतला को बासी भोजन का भोग लगाने की प्रथा है। इस दिन घर में ताजा खाना नहीं बनता, महिलाए एक दिन पहले रात को ही खाना बना लेती हैं, उसी खाने से माता शीतला की पूजा की जाती है। ऐसी मान्यता है कि माता शीतला शांति की देवी हैं जो विभिन्न प्रकार की बीमारियों से भक्तों की रक्षा करती हैं। इस दिन सुबह सूर्योदय से पहले उठकर स्नान किया जाता है। माता शीतला की पूजा का सामान लेकर माता शीतला मंदिर में और होलिका दहन की जगह पर भोग लगाया जाता है। इसके बाद शीतला व्रत की कथा सुनने के बाद घर आकर मुख्य प्रवेश द्वार के दोनों ओर हल्दी से हाथ के टीका लगाए जाते हैं। मंदिर से लाए गए जल पूरे घर में छींट देते हैं। इससे शीतला माता की कृपा बनी रहती है और रोगों से घर की सुरक्षा होती है।
आज बसोंडे से लगेगा माता शीतला को भोग