छतरपुर। जिले में मिलावटी खाद्य पदार्थों की बिक्री चरम पर है। त्योहार के पूर्व अभी से मिलावटी मावे का भंडारण किया जा रहा है। शुद्ध के लिए युद्ध अभियान के बारे में सरकार भले ही सख्त हो, पर जिम्मेदार अमले की लापरवाही से यह अभियान केवल कागजों पर ही चलाया जा रहा है।
होली के त्योहार के आते ही मिठाइयों और खाद्य पदार्थों की बिक्री में जमकर उछाल आने की उम्मीद है। सीजन के वक्त जब मिठाइयों की बिक्री काफी बढ़ जाएगी तो कई ऐसे दुकानदार भी मिठाइयां बनाने लगेंगे, जिनका यह काम ही नहीं है। मिलावट का खतरा सबसे ज्यादा इन्हीं लोगों से है। शहर में मिठाई की लगभग पांच दर्जन से अधिक दुकानें हैं। इन दुकानों से त्योहारों के समय लगभग 900 क्विंटल से अघिक मावे की मिठाइयों की बिक्री होती है। दुकानों पर होली की तैयारियां लगभग 5 से 7 दिन पहले आरंभ कर दी गई हैं। होली पर मिठाई बनाने वालों ने गोदामों में मावे व मिठाइयों का एडवांस में भंडारण शुरू कर दिया है।
जानकारों का कहना है कि त्योहार के मौके पर कई दुकानदारों द्वारा ज्यादा मुनाफा कमाने के चक्कर में ग्वालियर, सीमावर्ती उत्तर प्रदेश के महोबा, झांसी और कानपुर से मिलावटी मावा मंगवा रहे हैं। इन शहरों से भेजे जाने वाले मिलावटी मावा की खेप छतरपुर जैसे छोटे जिलों की स्थानीय मांग के हिसाब से आपूर्ति को आसानी से पूरी कर देती है। इस काम में अच्छा खासा एक रैकेट सक्रिय है। ये रैकेट रात में बसों व अन्य वाहनों से छतरपुर सहित जिले के अन्य हिस्सों में मिलावटी मावे की खेप पहुंचा रहा है। जिले में मिलावटी मावे की आपूर्ति का यह मामला नया नहीं, बल्कि काफी लंबे समय से चर्चाओं में है। उल्लेखनीय है कि पिछले दिनों ग्वालियर व चंबल अंचल में नकली मावे के एक सेंटर पर छापा मारा गया था। इसी तरह के सेंटरों से छतरपुर में नकली मावे की आपूर्ति की जा रही है। इस कारोबार पर प्रदेश सरकार के फरमान से चलाया जा रहा शुद्ध के लिए युद्ध अभियान केवल कागजी साबित हो रहा है। मजे की बात तो यह है कि मुख्य चिकि त्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी कार्यालय के अधीन फूड एण्ड ड्रग्स और नगर पालिका के स्वास्थ्य विभाग का अमला इस दिशा में केवल नाम के लिए कार्रवाई कर रहा है।
इनका कहना है
शुद्ध के लिए युद्ध अभियान के तहत जिम्मेदार विभागों को मिलावटी मावे के भंडारण व मिलावटी मावे से बनी मिठाइयों, पनीर पर नजर रखने के लिए निर्देशित किया जाएगा। इस कार्य में जरा भी लापरवाही नहीं होगी।
प्रेम सिंह चौहान, एडीएम, छतरपुर
खाद्य सुरक्षा विभाग द्वारा मावा, पनीर सहित अन्य खाद्य पदार्थों की निरंतर चेकिंग-सैंपलिंग की जा रही है। ये सैंपल जांच के लिए भोपाल भेजे जाते हैं। इसकी जांच रिपोर्ट के आधार पर अमानक सैंपलों के प्रकरण न्यायालय में पेश किए जाते हैं।
संतोष तिवारी, निरीक्षक, खाद्य सुरक्षा विभाग छतरपुर
आलू, अरबी, सोयाबीन, मैदा से बनाता है मावा
सूत्रों की मानें तो आलू, अरबी, सोयाबीन, मैदा में चिकनाई के लिए वनस्पति घी मिलाकर सिंथेटिक मावा बनाया जाता है। ग्राहकों को असली व सिंथेटिक मावा की सही पहचान न होने का फायदा उठाकर मावा विक्रेता ग्राहकों को असली के नाम पर सिंथेटिक, मिलावटी मावा थमा देते हैं। दूध डेयरी व्यवसाई की मानें तो छतरपुर में दूध का उत्पादन निश्चित मात्रा में होता है। त्योहारों पर मावे की बढ़ती मांग पर मावा बाहर से मंगवाया जाता है। इस समय कुछ लोग मिलावटी मावे को अंजाने में ग्राहकों को असली के रूप में थमा देते हैं और मिलावटी मावा से बनी मिठाइयां असली के भाव पर बेचकर मुनाफा भी कमाते हैं।
बीमार बनाता है मिलावटी मावे का सेवन
भोपाल के चिरायु मेडिकल कॉलेज के डॉ. रवि सक्सेना का कहना है कि मिलावटी मिठाइयां स्वास्थ्य को काफी नुकसान पहुंचाती हैं। इनके सेवन से पाचन तंत्र खराब हो जाता है। कोलाइटिस की शिकायत होती है। फूड प्वाइजनिंग का खतरा बना रहता है। साथ ही कई बार तो मिलावटी मावे से बनी मिठाइयों का सेवन जानलेवा भी साबित होता है। लोगों का कहना है कि इसके लिए होली के आस-पास सघन चेकिंग का अभियान चलाना चाहिए, जो नहीं चलाया जाता। संबंधित विभागों द्वारा महज रस्म अदायगी के लिए यदाकदा औचक निरीक्षण का स्वांग अवश्य रचा जाता है। जो सैंपल लिए भी जाते हैं तो उनकी जांच रिपोर्ट देर से आने के कारण मिलावटी मावे के कारोबारियों पर ठोस कार्रवाई में देरी होती है।