छतरपुर। वर्ष 2007 के शिक्षा से जुड़े एक चर्चित मामले में पंचम अपर सत्र न्यायाधीश आरएल शाक्य की अदालत ने वर्तमान में नौगांव के शासकीय बापू डिग्री कॉलेज के प्राचार्य डॉ. नवरत्न प्रकाश निरंजन को छात्र-छात्राओं को परीक्षा में पास कराने के एवज में 5 हजार रुपये लेकर उत्तर पुस्तिकाएं बदलने का दोषी करार देकर 16 साल कठोर कैद व 2 लाख 10 हजार रुपये जुर्माना की सजा सुनाई है। सजा सुनाने के बाद प्राचार्य निरंजन को सीधे जेल भेज दिया गया है।
एडवोकेट लखन राजपूत ने बताया कि डा. सुभाषचंद्र आर्य उप कु लसचिव हरिसिंह गौर विश्वविद्यालय सागर के परीक्षा गोपनीय विभाग में पदस्थ थे। जिन्होनें शासकीय महाविद्यालय हरपालपुर में आयोजित वर्ष 2007 की मुख्य परीक्षा में की गई अनियमितताओं की जांच के बाद एफआईआर दर्ज करने के लिए हरपालपुर थाना में आवेदन दिया था। वर्ष 2007 में शासकीय महाविद्यालय हरपालपुर में मुख्य परीक्षा 2007 का परीक्षा कें द्र बनाया गया था। परीक्षा कें द्र के अधीक्षक डा. नवरत्न प्रकाश निरंजन प्रभारी प्राचार्य शासकीय महाविद्यलाय हरपालपुर को नियुक्त किया था। अपने रसूख का फायदा उठाकर निरंजन ने इस कार्य में घोर लापरवाही की। परीक्षा कें द्र में एक ही रोल नंबर की दो उत्तर पुस्तिकाएं एवं एक उत्तर पुस्तिका कम मिलने के संबंध में कु ल सचिव द्वारा जांच समिति गठित की गई थी। जांच में सामने आया कि परीक्षा हस्ताक्षर सीट में दर्ज उत्तर पुस्तिकाओ के सरल नंबर और मुख्य उत्तर पुस्तिकाओ के सरल नंबर अलग-अलग थे। जांच समिति के सामने भी निरंजन अपना जवाब देने नही आया। जांच समिति ने पाया कि हरपालपुर महाविद्यालय के अलावा मुख्य रुप से प्रभारी प्राचार्य निरंजन, परीक्षा संचालन कार्य में लगे महाविद्यालय के शिक्षक, कर्मचारी लिप्त और दोषी हैं जो समिति के सामने अपना पक्ष रखने से बच रहे है। जांच में पाया गया कि परीक्षा भवन में छात्रों को दी गई उत्तर पुस्तिका को महाविद्यालय में बाद में बदलकर परीक्षा भवन से बाहर लिखी गई उत्तर पुस्तिका बंडल में रख दी जाती है। गजेंद्र सिंह बघेल और अंकि ता चतर्वुेदी के बयान से भी इस कार्य के एवज में निरंजन द्वारा रुपयों के लेन-देन की पुष्टि हुई। जांच समिति ने बीएससी, बीए, एमए, की 15 कक्षाओं की परीक्षा में 361 पुस्तिकाओ में हेराफे री पाई। थाना हरपालपुर ने प्राचार्य डॉ. नवरत्न प्रकाश निरंजन शासकीय महाविद्यालय राजा हरपालपुर, उनके शिक्षक, कर्मचारी, छात्र छात्राओ के खिलाफ मामला दर्ज किया। पुलिस ने आरोपी प्राचार्य निरंजन को गिरफ्तार करके मामला कोर्ट में पेश किया था।
सजा सुनते ही रो पड़ा दोषी निरंजन
अभियोजन की ओर से एजीपी अरुण देव खरे ने पैरवी करते हुए मामले के सभी सबूत एवं गवाह कोर्ट के सामने पेश कि ए और आरोपी प्राचार्य को कठोर सजा देने की दलील रखी। पंचम अपर सत्र न्यायाधीश आरएल शाक्य की अदालत ने फै सला सुनाया है कि आरोपी प्राचार्य के द्वारा शिक्षा से संबंधित परीक्षाओ में गंभीर अनियमितता करते हुए उत्तर पुस्तिकाओं में हेरा फे री करके अवैधाानिक लाभ प्राप्त किया है। ऐसे मामले नरम रुख अपनाया जाना कानून की नजर से सही नही है। कोर्ट ने आरोपी प्राचार्य डॉ निरंजन को दोषी पाते हुए 16 साल की कठोर कैद के साथ दो लाख दस हजार रुपये के जुर्माना की सजा सुनाई है। सजा सुनते ही निरंजन अपने कि ए पर रो पड़ा। उसे कोर्ट से सीधे जेल की सलाखों के पीछे भेज दिया गया है।