अंबिकापुर। आर्थिक आत्मनिर्भता तथा महिला सशक्तिकरण को आगे बढ़ाने की दृढ़ इच्छाशक्ति से स्व सहायता समूह की महिलाएं सफल उद्यमी बनकर जिले एवं प्रदेश के लिए मिसाल बन गई हैं। सरगुजा जिले के उदयपुर विकासखंड में महिला उद्यमी बहुउद्देशीय सहकारी समिति मर्यादित परसा के सदस्य समग्र रूप से विभिन्न गतिविधियों का संचालन कर रही हैं तथा प्रत्येक महिला की भागीदारी व जिम्मेदारी समिति में सुनिश्चित है। 250 महिलाओं की समूह अब कंपनी बन चुकी है। इसका वार्षिक टर्न ओवर एक करोड़ पहुंच चुका है। प्रतिनिधिमंडल विभिन्न कायोर् के सुचारू क्रियान्वयन तथा आय-व्यय का लेखा-जोखा, मार्केटिंग आय-व्यय, समिति का संरक्षण, सदस्यों में कार्य वितरण आदि का कार्य करता है और एक सफल महिला उद्यमी के रूप में प्रतिष्ठित है। समिति का वार्षिक टर्नओवर एक करा़ेड से अधिक हो गया है। समिति की अध्यक्ष अमिता सिंह, उपाध्यक्ष वेदमती उइके तथा मार्केटिंग हेड के रूप में रजनी श्रीवास्तव समिति संचालन का कार्य बखूबी निभा रही है। अमिता सिंह ने बताया कि समिति द्वारा स्वरोजगार के साथ ही लोगों में स्वास्थ्य, शिक्षा व स्वच्छता के विषय में जन जागरूकता का कार्य भी किया जाता है। वर्ष 2017 से प्रारंभ किए गए इस समिति का प्रारंभिक टर्नओवर 32 लाख था, जो वर्तमान में एक करोड़ रुपये की राशि को पार कर गया है। उन्होंने बताया कि भविष्य में सुगंधित चावल जीराफूल, जवाफूल एवं बासमती की खेती 200 से 300 एकड़ क्षेत्र में जैविक खाद के उपयोग से करने तथा राइस मिल स्थापित कर पैंकेजिंग के माध्यम से बिक्री करने का प्रस्ताव है। यह सरगुजा जिले का सबसे बड़ा सहकारी समिति है, जिसको पांच गांव की 250 बेरोजगार महिलाएं मिलकर संचालित करती हैं।
प्रशासन ने उपलब्ध कराया ऋण
जिला प्रशासन द्वारा सहकारी समिति को विभिन्न मद में 10 लाख 75 हजार रुपये की ऋण तथा अनुदान राशि प्रदान की गई है। समिति का संचालन व प्रबंधन 11 सदस्यों का प्रतिनिधि मंडल द्वारा किया जाता है, जिसमें अध्यक्ष एवं उपाध्यक्ष के साथ अन्य महिलाएं शामिल होती हैं। समिति के लगभग 95 प्रतिशत से अधिक महिलाएं आदिवासी वर्ग से संबंधित हैं जो स्वरोजगार से जुड़कर महिला सशक्तिकरण में अपना अमूल्य योगदान प्रदान कर रहे हैं।
अंतरराष्ट्रीय बाजार में पहुंचा काटन बैग
समिति की 12 महिलाओं द्वारा आकर्षक रंग एवं डिजाइन के काटन बैग का निर्माण किया जा रहा है, जिसकी पहुंच अंतरराष्ट्रीय बाजार में हो चुकी है। एक निजी कंपनी को आनलाईन शापिंग के माध्यम से बैग का विक्री की जा रही है। एक बैग की कीमत 450 रुपये रखी गई है। अब तक करीब पांच हजार बैग की बिक्री कर 22 लाख 50 हजार रुपये आय अर्जित की गई है। कपड़े का इको फ्रेंडली बैग होने के कारण प्लास्टिक मुक्ति और स्वच्छता के क्षेत्र में भी इसे बेहतर प्रतिसाद मिल रहा है।
स्वास्थ्य सुधार की दिशा में सेनेटरी पैड निर्माण
समिति की छह महिलाओं द्वारा ग्राम गुमगा में सेनेटरी पैड निर्माण इकाई का संचालन किया जाता है। इन महिलाओं द्वारा पैड का निर्माण, कटिंग, स्टलिर्ग, पैकिंग व नामांकन का कार्य किया जाता है, जिससे उन्हें प्रति व्यक्ति लगभग चार हजार से 10 हजार रुपये की मासिक आमदनी प्राप्त होती है।
स्वच्छता हेतु फिनाइल निर्माण
क्षेत्र को स्वच्छ व रोग मुक्त करने के संकल्प ने समिति के सदस्यों को फिनाइल निर्माण के लिए प्रेरित किया। घाटबर्रा गांव की महिलाओं ने जन जागरूकता व सर्वे के माध्यम से फिनाइल निर्माण, फिनाइल की खपत, निर्माण एवं वितरण की सारी प्रणाली को समझा। इसके बाद प्रशिक्षण प्राप्त कर कच्चे माल की उपलब्धता को देखकर फिनाइल बनाना प्रारंभ किया। फिनाइल निर्माण कार्य हेतु तीन महिलाएं संलग्न हैं जो केमिकल को उचित मात्रा में मिलाना, उत्पाद तैयार करना एवं बोतल में पैक कर गांव-गांव अपने वितरण स्थान तक पहुंचाने का कार्य करती हैं। महिलाएं बहुत ही लगन व तत्परता से कार्य करते हुए तीन हजार से 10 हजार रुपये तक प्रतिमाह पारिश्रमिक प्राप्त करती हैं।
जल शुद्धिकरण संयंत्र का संचालन
उदयपुर ब्लाक के परसा, गुमगा, साल्ही में जल के प्रदूषण के कारण कई बीमारियों से लोगों को हमेशा परेशान रहना पड़ता था। एक सर्वे में जल का परीक्षण करवाने पर नाइट्रोजन की मात्रा और पीएच स्तर की गड़बड़ी पाई गई। इसके निराकरण हेतु वहां पर संयंत्र में नाइट्रोजन का शुद्धि व पीएच स्तर को दूर करके जल को शुद्ध करने के लिए तीन महिलाओं को प्रशिक्षित किया गया। प्रशिक्षण प्राप्त कर ये महिलाएं सफलतापूर्वक जल शुद्धिकरण संयंत्र को संचालित कर रही हैं तथा अपने-अपने परिवार का भरण पोषण कर रही हैं। संयंत्र में कार्य करने से इन्हें चार हजार से 10 हजार रुपये तक मानदेय कार्य के आधार पर प्राप्त रहा है।
जैविक खाद निर्माण भी
ग्राम परसा में बंजर एवं अनुपजाऊ पड़ी लगभग 3.5 एकड़ भूमि पर जैविक कृषि कार्य महिलाओं द्वारा प्रारंभ किया गया है। इस 3.5 एकड़ भूमि को गोबर खाद व जैविक तरीके से कृषि हेतु तैयार करके उसमें चारों तरफ फलदार पेड़ पौधे लगाए गए। यहां पर हल्दी, गेहूं एवं दलहन फसलें ली जाने लगी हैं। सभी कार्य महिला स्व सहायता समूह द्वारा ही किया जाता है, जिसके परिणाम स्वरूप वहां पर हल्दी एवं गेहूं का उत्पादन प्रारंभ हुआ और महिलाओं को स्वरोजगार से जुड़कर अच्छी खासी आमदनी होने लगी है।
गुणवत्तायुक्त मसाला निर्माण की यूनिट
ग्राम परसा में एक मसाला यूनिट की स्थापना की गई है, जिसमें तीन महिला जुड़ी हुई है। इस इकाई में जीरा, धनिया एवं मिर्च पाउडर पिसाई का कार्य किया जाता है। मसाला पैकेट बनाकर प्रत्येक गांव तथा निकटतम बाजार तक पहुंचाने का सारा कार्य महिलाएं सफलतापूर्वक करती हैं, जिसके लिए उन्हें चार हजार से 10 हजार रुपये तक प्रतिमाह पारिश्रमिक मिल रहा है।